हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,आप किसी को किसी ओहदे पर नियुक्त करना चाहते हैं, एक काम का किसी को ज़िम्मेदार बनाना चाहते हैं, तो देखें कि उसमें उसे अंजाम देने की वह ख़ूबी है या नहीं?
यानी लोगों से संबंधित मामलों में उस शख़्स के भीतर तक़वा और काम के लिए समर्पण पाया जाता है या नहीं। इसको प्रशासनिक सलाहियतों का हिस्सा क़रार दें। प्रशासनिक सलाहियत का एक मतलब यह है कि वह शख़्स जिसे आप काम सौंप रहे हैं, पूरी ईमानदारी से अंजाम दे रहा है या नहीं।
अगर ऐसा किया तो उस वक़्त अल्लाह को अपने सभी फ़ैसलों में मद्देनज़र रखेंगे। मतलब यह है कि हम अल्लाह के लिए काम अंजाम देंगे, जब यह कैफ़ियत पैदा हो गयी तो उस वक़्त आपका काम इबादत बन जाएगा। ‘मकारेमुल अख़लाक़’ नामी दुआ में यह जुमला मौजूद है।
क़यामत के दिन हमारे गरेबान पकड़ेंगे कि फ़ुलां काम क्यों अंजाम दिया। कुछ काम जो अंजाम नहीं देना चाहिए था, हमसे हो जाते हैं, ठीक है, इसको हम सब जानते हैं।
कुछ वह काम जिसे अंजाम देना ज़रूरी था हम ध्यान नहीं देते, ग़फ़लत में अंजाम नहीं देते, हम सुस्ती से काम लेते हैं और उसे अंजाम नहीं देते, इसके बारे में हमसे सवाल किया जाएगा।
इमाम ख़ामेनेई